आज शेखर कितने दिनों बाद लखनऊ आया था और उसे देख अनुष्का कितनी हैरान थी बरबस ही शेखर कि माँ से पूछ उठी ये वही शेखर है जो आपके गृह प्रवेश के समय ज़रा सा था | कल तक बच्चा दिखने वाला शेखर मानो अचानक ही बड़ा हों गया था | पर आज भी बातों में वही बचकानापन जो आज से आठ साल पहले था | और अनुष्का आंटी तो उसकी सबसे प्यारी आंटी हों गयी थी उन चंद दिनों में जो उसने अपने बचपन में लखनऊ में गुज़ारे थे | सारे सारे दिन क्रिकेट के खेल देखने की चाह में वो अनुष्का आंटी के पास ही बैठा रहता था | आज भी वो अनुष्का के साथ बैठ कर अपने बचपन के उन पलों को ही याद कर रहा था |
"कितनी शैतानी करता था नया मैं आंटी , सारा दिन आपको अपनी बातों से परेशान किया करता था ना |"
और अनुष्का भी हंस कर उत्तर में अपना सर हिला देती |
शेखर और उसके घर वाले समय समय पर लखनऊ आते रहते और जब भी आते अनुष्का से मिले बिना वापस नहीं जाते | बड़े ही सज्जन लोग थे और शेखर उनके घर का सबसे हंसमुख सदस्य था |जाते जाते वो अनुष्का आंटी का फोन नंबर ले गया और यदा कदा वो मेसज भेजता रहता था अनुष्का भी उसके मेसज का जवाब दिया करती थी |
इस बार शेखर अपने एक दोस्त प्रशांत के साथ लखनऊ आया और अपने उस दोस्त को वो अनुष्का आंटी से मिलाने भी लाया | प्रशांत कुछ ज्यादा ही खुले विचारों का था | अनुष्का ने उन दोनों को खाना खिलाया और फिर दोनों किसी काम से चले गए | प्रशांत कुछ दिनों तक लखनऊ में रहा और अनुष्का के वहाँ आता जाता रहा , परन्तु अनुष्का को उसका ये खुलापन कतई ना भाया और उसने प्रशांत से वांछित दूरी बनाये रखी | परन्तु इसके विपरीत प्रशांत ने लखनऊ से वापस जाने के बाद अनुष्का को मेसज भेजने शुरू करदिये | ये सभी मेसज द्विअर्थी होते थे | पहले तो अनुष्का ने उन्हें बर्दास्त किया परन्तु एक सीमा के बाद उसने शेखर को ये बताना ज़रूरी समझा | और उसने शेखर के वाया प्रशांत को मेसज करने से मना करा दिया |
आज शेखर कुछ एक साल बाद फिर लखनऊ आया परन्तु इस बार वह वो शेखर नहीं था जो हमेशा हँसता और बकवास करता रहता था |वो बड़ों कि तरह बात कर रहा था और इस बातचीत में उसने अपने पिता के प्रति अपनी असंतुष्टि दिखाई | अंदर से कुछ दुखी था शेखर और वो अनुष्का आंटी से जाने क्या क्या कह गया और अनुष्का भी चुपचाप सुनती रही |
पर आज भी अनुष्का ने उसमे एक छोटा सा बच्चा ही देखा जो अपने बड़ों कि गलती पर उनसे नाराज हों बैठा है कि जाओ अब तो मैं तुमसे बात ही नहीं करूँगा बहुत बुरे हों तुम | और इस बार भी अनुष्का से मिल और अपने कुछ काम निपटा शेखर वापस लौट गया और हर बार कि तरह अनुष्का आंटी के पास उसके मेसज आते रहे |
आज बहुत दिनों कि चुप्पी के बाद अनुष्का के पास शेखर का एक मेसज आया ," एक बात कहूँ आंटी आप बुरा तो नहीं मानेंगी |"
अनुष्का को फिर लगा कोई बचकानी बात होगी और उसने हमेशा कि तरह सुनने कि स्वीकृती दे दी |
और शेखर ने कहा आंटी आज कल मेरा मन ठीक नहीं है मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता आप मुझे कुछ समय दे दिया करिये मुझसे कुछ बात कर लिया कीजिये |
अनुष्का ने कहा," करती तो हूँ तुमसे बात और जो कहना है बोलो |"
शेखर ने कहा ,"किसी रोचक विषय पर बात करिये |"
अनुष्का ने कहा ," रोचक विषय , हा हा तुम ही बताओ तुम्हारे हिसाब से रोचक विषय कौन सा है उसी पर बात कर लेते हैं |"
और बदले में अनुष्का में फिर किसी बचकाने से विषय कि अपेच्छा की थी |
शेखर बिना झिझक बोल पड़ा क्यूँ ना एक एक ज्यादा उमर कि महिला और कम उम्र के लडके के रिश्ते इस टॉपिक पर बात की जाये |
अनुष्का अचानक चौंक पड़ी वो शेखर जो कल तक उसके लिए बच्चा था आज अचानक वो बड़ा हों गया |