Thursday 28 June 2012

नए रिश्ते

आज के दौर में कुछ नए रिश्तों ने जन्म लिया है ये मुझे कुछ दिनों पहले ही मैंने जाना जब मैं अपनी मित्र कि बेटी के साथ बैठ कर कुछ आम विषयों पर उसे सजग कर रही थी , और वो मुझे मित्रवत समझ अपनी भावनाएं मुझसे बाँट रही थी | 
मासी मैं आज कल पेंटिंग क्लास्सेस जा रही हूँ और देखिये ये कवितायेँ मैंने लिखी हैं कितना अपनापन था उसकी बातों में पर तभी अचानक उसके फोन पर एक मिस कॉल और बस उसका ध्यान उसकी प्रिय मासी से हट कर फोन पर चला गया , और अचानक वो लैप टॉप ले कर बैठ गयी , मैंने पूछा क्या हुआ बेटा कुछ काम करना है स्कूल का अचानक याद आ गया तो वो बोली नहीं मासी मेरे नेट फ्रेंड का मैसेज आया है वो ऑनलाइन आ रहा है , मै ज़रा उससे बात कर लूं |
मैंने उससे जानते हुए भी पूछा ये नेट फ्रेंड क्या है ? तो उसने मुझे बड़ी हेय दृष्टी से देखते हुए कहा आपको नहीं पता मौसी जो दोस्त इन्टरनेट से बनते हैं उन्हें नेट फ्रेंड और जो फोन से बनते हैं उन्हें फोन फ्रेंड कहते हैं वैसे ही जैसे पेन पाल होते थे चिट्ठियों से बने दोस्त | मैंने पूछा क्या मिली हों तुम अपने इन दोस्तों से तो वो हंस कर बोली माँ को तो नहीं बताओगी ना ,
मैंने भी हाँ में अपना सर हिला दिया |
वो बोली हाँ मासी कुछ से मिली हूँ |
पर सच मेरी तो रूह ही कांप गयी ये सोच कर कि ये सब क्या है ? ये कौन सा रिश्ता है जिसके लिए घर आयी मासी को छोड़ कर उठा जा सकता है |
नेट फ्रेंड और फोन फ्रेंड |
वो मुसका मुस्का कर अपने कम्प्यूटर पर कुछ टाइप कर रही थी और मैं उसकी वो मुस्कान देख कर अचरज में थी कि ये कैसे नए रिश्ते हैं जो सामने बैठे एक मनुष्य को दूसरे से दूर कर देते हैं |
क्या मज़ा है ऐसे रिश्ते निभाने में और क्या सच्चाई है ऐसे रिश्तों की ?
हाँ  आज मामा मामी , नाना नानी , माँ बाबा , भाई बहन , चाचा चाची इन सभी रिश्तों से ऊपर हों गऐ हैं ये रिश्ते ,
ये नए रिश्ते |

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